राजविद्याराजगुह्ययोग इस अध्याय में श्री कृष्ण बताते हैं कि सबसे बड़ा राज यही है कि – कृष्ण ही ईश्वर हैं। उन्होंने ही सृष्टि का निर्माण किया है। वे ही कण -कण में विद्ध्यमान हैं। उन्हें समझ पाना मनुष्य के वश में नहीं है। लेकिन उनकी भक्ति से मनुष्य उन्हें पा सकता है। परन्तु यह भक्ति बिना संदेह और संशय के होनी चाहिए। और इसमें भगवान श्री कृष्ण के प्रति सिर्फ प्रेम ही प्रेम हो। कृपया गीता के अध्ययन को बार बार सुने. प्रस्तुत है अध्याय - 09 धन्यवाद